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देश में हज़ार और पांच सौ के नोटों के चलन से ग़ायब हुए दस दिन का वक्त बीत चुका हैं. आम लोग अपनी जिंदिगी की दिक्कतों को झेलते हुए भी देश हित में हुए फैसले के साथ खड़े दिख रहे हैं, लेकिन विपक्षी राजनितिक दलो और काली कमाई के कारोबारियों के होश उड़े हुए हैं. हल्दी लगे न फिटकरी रंग चोखा की कहावत को चरितार्थ करने वाले ये लोग इस कारणवस परेशान हैं, क्योकि इनकी काली कमाई पर लगाम लगाने के लिये दिन प्रितदिन कानून अपना शिकंजा कसता जा रहा हैं. यह बाबत सही हैं, कि देश का गरीब और निचला तबका कुछ दिनों कि दिक्कतों से बेहाल हैं, लेकिन उसकी सिकन पर ख़ुशी साफ साफ झलक रही हैं, कि देश में उसकी स्थिति में सुधार को लेकर यह निर्णय सर्कार ने लिया हैं. आज जब इस नियम को दस दिन हो चुके हैं, तो देश में अनेको जगह से पैसे को जलाने और लोगो के खाते में डालकर सफेद करने कि मुहीम काले कारोबारियों के द्वारा कि जा रही हैं, यह वही धन हैं, जिसकी कुछ दिन पहले पूजा अर्चना कि जाती रही थी. समय समय का खेल होता हैं, परिस्थितियां बदलते देर नही लगती. आज का देश अपने भले के लिये मुशीबत उठाने को तैयार हैं, जो मोदी सरकार के इस फैसले से दिख रहा हैं. अगर कुछ दिक्कतों की बाबत की जाय तो देश के लोगो को हो रही हैं, जैसे छोटे कारोबारियों को अपना रोजगार चलाने में असमर्थ पा रहे हैं, किसान बेहाल हैं, उनकी फसल की बोनी नही हो पा रही हैं, क्योकि धन का आभाव साफ दिख रहा हैं, आसंगतित मजदुर भी त्रस्त हैं, फिर भी सरकार के फैसले से राजी हैं, फिर देश के कुछ लोगो को ही दिक्कत क्यों हो रही हैं, इससे सभी वाकिफ हैं. हवाला कारोबारियों और नकली नोटों के चलन पर लगाम लगाने में यह नियम काफी कारगर सिद्ध होगा.
नोट बन्दी का दीर्घकालिक असर 8 नवंबर की रात्रि में मोदी सरकार ने जिस अंदाज में एक हजार और पांच सौ रूपये के नोटों को चलन से बाहर का रास्ता दिखाया, उससे देश की अर्थव्यवस्था को दार्घकालिक फायदा मिलेगा। इस व्यवस्था का विपरीत प्रभाव कुछ दिनों के लिए छोटे और लघु उद्योगों को पड़ने वाला है, फिर भी देश की जनता सरकार के इस फैसले के साथ दिख रही है, इस नियम के बाद आतंकवादियों को होने वाले फंड और राजनीतिक पार्टियों को मिलने वाले फंड पर भी रोक लगाना संभव होगा, जिससे आतंकवादियों की गतिविधियां कम होगी, और राजनीतिक फायदे के लिए अपनाये जाने वाले हथकण्डों में भी कमी आयेगी, जिससे स्वच्छ राजनीतिक छवि वाले नेता देश का नेतृत्व कर सकेंगें। मोदी सरकार की यह रणनीति प्लास्टिक मनी को बढ़ावा देने के क्षेत्र में कामगार सिद्व रहेगी, जिससे काली कमाई करने वाले और हवाला कारोबारियों पर नजर रखने में आसानी होगी। देश में वर्तमान दौर में केवल तीन प्रतिशत लोग टैक्स अदा करते है, जिससे देश के राजस्व में पैसे की कमी से देश की तरक्की परवान का छूने में असमर्थ दिखती है, इस नियम के बाद उसमें भी बढ़ोत्तरी हो सकेगीं। देश का किसान और मजूदर कुछ समय के लिए दिक्कतों में आ सकता है, लेकिन उसका पैसा सुरक्षित है, जिसकी वजह से वह संयमित है, जो सरकार के इस फैसले के लिए जरूरी भी था, नहीं तो स्थितियों में बदलाव दिख सकता था। नकली नोटों पर लगाम लगाने के लिए मोदी सरकार ने नई नोटों को छपवाने के लिए जर्मनी की कंपनी से कागज के लिए करार किया है, जो कंपनी किसी और को कागज नही देंगी, यह स्थिति देश के लिए उचित है, क्योंकि पाकिस्तान भारत जैसे देश को खोखला करने के लिए व्यापक स्तर पर नकली नोटों का प्रवाह अभी तक करता आ रहा है। देश की जनता को कुछ समस्याओं के बाद सुखद एहसास मिलेगा। हां देश की अर्थव्यवस्था भले कुछ समय के लिए अपने वर्तमान स्तर से नीचे आ सकती है।
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