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सोने पर सर्जिकल अटैक से रूपया होगा मजबूत

aandolan
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गरीबों की झोली तक पैसे पहुंचाने के लिए केंद्र सरकार ने जन-धन योजना के अन्र्तगत जमा होने वाले पैसों को लेकर उत्तर प्रदेश की एक रैली में कहा कि वह ऐसे कानून पर विचार कर रहें है, कि जन-धन योजना में जमा होने वाले पैसे पर खाताधारक का ही वर्चस्व हो सके, अगर इस दिशा में कोई सकरात्मक निर्णय सरकार करने में सफल होती है, तो जो काली कमाई वाले लोग अपने धन को गलत तरीके से सफेद करवाने की जुगाड़ में दिख रहे थे, उनके लिए दुर्भाग्य की बात होगी, क्योंकि उत्तरप्रदेश, पष्चिमी बंगाल और राजस्थान में खुले जन-धन खातों में नोटबंदी के बाद से बहार आ गई है। इस निर्णय के लागू होने के पष्चात् देश के गरीबों और निचले तबके के लोगों का भी भला हो सकेगा, जिन्हें डरा धमकाकर उन गरीबों के खाते में अपनी कलाई कमाई साफ करने का तरीका जमा रहे थे। मोदी सरकार जिस तरीके से काली कमाई और भ्रष्टाचार पर शैने-षैने प्रहार कर रही है, उससे लगता यही है, कि सरकार स्वच्छ राजनीति और सामाजिक व्यवस्था को कायम करने के सही रास्ते पर विचरण करती हुई नजर आ रही है। इसी दिशा में एक समय में सारे चुनाव को लेकर मोदी द्वारा समय-समय पर दिया जाने वाला वक्तव्य भी सरकार के साथ विपक्ष को भी चर्चा में लाना चाहिए, जिससे देष की जनता के पैसे का नाजायज फिजूलखर्ची न हो सके, देष में आज भी गरीबी, बेरोजगारी, कुपोषण जैसे तमाम ज्वलन्त मुद्वे व्याप्त है, जिस और निगाह दौड़ाना भी राजनीतिक दलों की नैतिक जिम्मेदारी बनती है।
केन्द्र सरकार ने विपक्ष के पुरजोर विरोध और विपक्ष के सदन की कार्रवाई न चलने देने के बावजूद भी गरीबों और धनवानों के बीच समानता और परस्पारिक एकता लाने के लिए जिस तरीके से सर्जिकल स्ट्राइक कर रही है, वह काबिलेतारीफ है। पहले सरकार ने जाली करेंसी और काले धन को समाप्त करने के लिए हजार और पांच सौ के नोट बंद किए, उसके बाद जिस तरीके से सोने रखने की सीमा तय की, वह सरकार की गरीबी और अमीरी की खाई को पाटने की दिषा में एक कारगर नतीजा देने वाला हो सकता है, और देष की जनता कुछ बुनियादी समस्याओं के बावजूद जिस तरीके से सरकार के साथ खड़ी दिख रही है, वह सरकार को एक दिषा देने का काम कर रही है। विपक्षी दलों के विरोधों की परवाह न करते हुए सरकार देषहित में फेसले लेने में हिचक नही रही है, वह भी यह दर्षाता है, कि सरकार सही रास्ते पर चल रही हैं। किसी भी देष की तरक्की का रास्ता उसके वहां पर मौजूद धन संपदा से ही होता है, लेकिन कुछ समय से जिस तरीके से भारतीय मुद्रा की गति धीमी पड़ गई थी, उससे देष के रूपये की कीमत भी विदेषों की तुलना में कमतर होती जा रही थी, जिसके लिए सरकार को कुछ कदम उठाना जरूरी हो गया था। देष में रिजर्वं बैंक में जितना सोना जमा होता है, उसी के सापेक्ष में रूपये को छापता है, उसकी तुलना में अधिक रूपये छापने की वजह से देष के पैसे की कीमत विदेषी पैसे के सापेक्ष घट जाती है। इस तथ्य को अगर ध्यान दे, तो सरकार का सोने को रखने संबंधी जो नियमावली ईजात की है, उससे देष का रूपया तो मजबूत होगा ही , उसके साथ-साथ इससे देष की अर्थव्यवस्था मजबूत होगी।
पुरानी नोटों को बंद करने के बाद देषहित और गरीब जनता की भलाई के लिए सोने को रखने के संबंध में नियमवाली तय करना सरकार के लिए भी जरूरी हो गया था, क्योकि काली कमाई और भष्टाचारियोें ने अपने नापाक कमाई को पाक करने के लिए सोने-चांदी में निवेष कर शुद्वता की चादर चढ़ाने की फितरत में लग गए थे, सरकार ने जो नियमावली बनाई है, उससे गरीब और आम जनता को कोई नुकसान नहीं होने वाला है, क्यांेकि गरीब और सच्चाई के पैसे से आम लोग इतना पैसा इकट्ठा ही नहीं कर सकते, जिससे वे 500 ग्राम सोना घर में खरीदकर रख सकें। पुष्तैनी गहने पर छूट देकर सरकार ने अच्छा काम किया है, क्यांेकि किसी के पास अगर उनके पूर्वजों के दिए हुए गहने है, तो उसपर कानून थोपना किसी हद तक सही नहीं कहा जा सकता है। नियमों के मुताबिक विवाहित महिला पांच सौ ग्राम और अविवाहित महिला 250 ग्राम सोना रख सकती है, जो कि एक सटीक फेसला कहा जा सकता है, जब देष में काला बाजारी से कमाये पैसे से खरीदा सोना बाहर आयेगा, तो सरकार उसे रिजर्वे बैंक में जमा कराकर उस एवज में रूपये की छापाई करवा सकती है, जिस रूपया मजबूत होगा, और देश की मलिन स्थिति को सुधारने के क्षेत्र में उस पैसे का इस्तेमाल अन्य क्षेत्रों में किया जा सकता है।
महेश तिवारी

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