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सरकार की कार्यकुशलता का परिणाम है जनता का अगाध विश्वास

aandolan
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लोकतांत्रिक प्रणाली के लिए यह शुभ संकेत है कि वहां कि आवाम अपनी सरकार पर अगाध श्रद्धा और विश्वास रखती है। किसी भी देश की लोकतांत्रिक सरकार के लिए इससे अच्छा संकेत और सकारात्मक दृष्टिकोण है कि लोग उसके कार्यों से संतुष्ट हों। आजादी के इतने वर्षों के बाद अगर देश की आवाम ने विश्वास जताया है, तो उससे देश में सकारात्मक माहौल की कल्पना की जा सकती है।

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वैश्विक पत्रिका फोर्ब्स के द्वारा किए गए एक सर्वे में भारत के लगभग 75 फीसदी लोगों ने माना कि उनकी सरकार सही दिशा में कार्यरत है और जनता ने पूर्ण विश्वास व्यक्त किया है। इस रिपोर्ट में विश्व के अन्य विकसित देश जैसे ब्रिटेन, रूस, कनाडा, जापान पीछे हैं। इससे यह व्यक्त होता है कि केन्द्र की मोदी सरकार ने पिछले कुछ वर्षों में सत्ता की राजशाही में जो भ्रष्टाचार और स्वहित की साधना मुख्य हो गई थी, उसे दूर करने, विदेश नीति को मजबूत करने के साथ स्वच्छता आदि की दिशा में प्रभावशाली कदम उठाया है। इसका नतीजा है कि देश की आवाम ने अपना विश्वास जताया है।

अगर सरकार के प्रति देश की आवाम ने अपनी अतुलनीय श्रद्धा व्यक्त की है, तो इसके पीछे केन्द्र की सत्ता में आसीन सरकार द्वारा किए गए कार्यों का अहम योगदान भी है। जो केंद्र सरकार पिछले दो कार्यकालों से भ्रष्टाचार का अड्डा, स्वहित साधना का अड्डा और भाई-भतीजावाद की राजनीति से पीड़ित हो चुकी थी, उसकी स्वच्छता का कदम उठाने के साथ मोदी सरकार ने देश से वीवीआईपी सभ्यता का अंत करके जनता में यह विश्वास पैदा करने का कार्य किया, कि जनता के मताधिकार से चुनी सरकार जनता के भरोसे पर खरा उतरने में तनिक भी नहीं कतराती। बस सरकार में अच्छी नेतृत्व क्षमता और जनता के लिए कार्य करने की मानसिकता होनी चाहिए।

आज की वर्तमान परिस्थितियों पर गौर करें, तो यथार्थ रूप से पता चलता है कि विपक्षी दलों द्वारा लगातार यह आरोप लगाया जा रहा है कि केंद्र सरकार किसी एक जाति-धर्म विशेष के लिए कार्यरत है। बावजूद इसके फोर्ब्स पत्रिका के अंतर्गत ऑर्गनाइजेशन फॉर इकोनॉमिक को-ऑपरेशन एंड डेवलपमेंट की इस वर्ष गवर्नमेंट एट ए ग्लांस की रिपोर्ट ने एक बार फिर साबित किया है कि केंद्र सरकार अपने संकल्पों पर केंद्रित होकर कार्य कर रही है। यानी भाजपा सरकार अपने घोषणा पत्र के सबका साथ-सबका विकास की नीति पर आगे बढ़ते हुए कार्य कर रही है।

ऑर्गनाइजेशन ऑफ इकोनॉमिक को-ऑपरेशन एंड डेवलपमेंट एक ऐसी संस्था है, जो विश्व के देशों के लिए आर्थिक सहयोग और विकास के लिए कार्यरत है। इस संस्था की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत विश्व के उन देशों के शीर्ष पर है, जहां लोग अपनी सरकार पर सबसे ज्यादा भरोसा रखते हैं। ग्रीस के 13 फीसदी लोग ही सरकार पर विश्वास रखते हैं। वहीं, यह सोचनीय बात है कि विश्व की सबसे बड़ी शक्ति अमेरिका की सरकार पर मात्र 30 फीसदी लोगों को विश्वास है। वहीं, ब्रिटेन की सरकार पर मात्र 41 फीसदी जनता का विश्वास है। सभी देशों की सरकार का अपना-अपना तरीका है, अपने जनता का विश्वास मापने का।

साधारण तौर पर जनता का भरोसा सरकार की स्थिरता, सुविधाओं के मुहैया कराने के असरदार तरीके पर निर्भर करता है। मोदी सरकार पर अगर देश की 75 फीसदी जनता भरोसा करती है, तो उसके अपने निर्धारित कारक भी हैं, क्योंकि केंद्र सरकार ने मात्र देश की जनता के लिए कार्य नहीं किए हैं, बल्कि वह विश्व परिदृश्य में फंसे अपने नागरिकों की सफलता पूर्वक रिहाई के लिए कार्यरत दिख रही है।

यह सही है कि विगत कुछ महीनों से विपक्ष ने गौरक्षा और हिंदुत्व के मुद्दे पर सरकार को घेरने का कार्य किया है, लेकिन फिर भी सरकार ने अपनी नीति पर चलते जीएसटी, सर्जिकल स्‍ट्राइक और नोटबंदी जैसे सफल कार्यों को अंजाम दिया, जो देशहित और समाज हित में साबित हो रहे हैं और आने वाले वक्त में भी होंगे। इसके साथ लोकतांत्रिक इतिहास में यह पहली बार हुआ है कि सरकार ने अपने देश के नागरिकों को स्वच्छता और विकास की दिशा में मोड़ने का सफल कार्य किया है, जिसके फलस्वरूप ही देश में शौचालयों का निर्माण हो, या फिर जनधन योजना के तहत खाते खोलने की बात। यह सरकार द्वारा उठाएं गए कुछ ऐसे कदम हैं, जो सामाजिक जीवन को उठाने की दिशा में सटीक कदम हैं। इसलिए अगर सरकार के प्रति देश की आवाम विश्वास प्रकट कर रही है, तो इसमें कोई सोचनीय और प्रश्नवाचक बात नहीं होनी चाहिए।

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